बच्चों में बुखार के लक्षण, कारण, घरेलू उपचार और भोजन


बच्चे हर मां बाप की जान होते हैं ऐसे में यदि बच्चों को बुखार आ जाए तो मां बाप चिकत्सक के पास घबराए हुए दौड़े चले आते हैं। परंतु आपको बता दे बुखार एक रोग नहीं है यह एक परेशानी है जिसका मुख्य कारण जानकर उसका हल निकालना चाहिए। 
यदि छोटा बच्चा आपके घर में है तो आपको एक थर्मोमीटर अवश्य रखना चाहिए। जब बुखार आता है तो शरीर का तापमान 37. 5° C या 99.5 °F से अधिक हो जाता है। 

बच्चों को बुखार में होने वाले लक्षण 
यदि बच्चा बुखार से पीड़ित होता है तो निम्न लक्षण मिलते है -  

  • कपकपी आना 
  • सिर, पेट दर्द 
  • खांसी 
  • नाक का बहना 
  • भूख कम लगना 
  • मिचली या उल्टी आना 

    बच्चों में बुखार आने का कारण 
    कई बार बुखार किस कारण से है ये नही पता चल पाता है परन्तु बुखार तभी होता है जब शरीर में कोई न कोई इन्फेक्शन हुआ हो। बुखार आने के कुछ कारण ये हो सकते हैं - 
  • शिशुओ और बच्चों में कान का संक्रामण होना। 
  • श्वासन पथ का संक्रमण होना। 
  • गलतुंडिका में सूजन होना अर्थात टॉन्सिलाइटिस होना। 
  • पेट या मूत्रमार्ग में संक्रमण होना। 
  • मच्छर जनित रोग होना जैसे मलेरिया, डेंगू आदि। 
  • अक्सर बच्चों के दांत निकलने पर भी बुखार आता है। 

    कैसे जानें कि शिशु को बुखार है? 
    यदि आपको अपने शिशु में उपर्युक्त कुछ लक्षण दिखते हैं या आपको ऐसा लग रहा है की आपके शिशु को ज्वार अर्थात बुखार हो सकता है तो आपको थर्मामीटर के द्वारा बुखार कितना है ये पता लगना चाहिए। बिना बुखार के बस माथा चू लेने के कई बार बुखार होते हुए भी ज्ञात नही हो सकताऔर यदि हो भी जाता है तो आप उसका सही माप नहीं जान सकते। इसलिए अपने शिशु का बुखार जानने हेतु थर्मामीटर का प्रयोग करना अनिवार्य है। 

    थर्मामीटर का इस्तेमाल कैसे करें? 
    थर्मामीटर भी बाजार में 2 प्रकार का उपल्ब्ध है– 
  1. मर्करी (पारा) थर्मामीटर 
  2. डिजिटल थर्मामीटर 

    डिजिटल थर्मामीटर प्रयोग करने की विधि 
  • सर्वप्रथम आपको डिजिटल थर्मामीटर का बटन दबाकर उसे ओन करना है। 
  • इसके बाद यदि आपका बच्चा बहुत ही छोटा है तो थर्मोमीटर को अपने बच्चे की कांख (अर्थात बगल) में और यदि थोड़ा बड़ा (3 साल से ज्यादा उम्र) है तो उसके जीभ के निचले हिस्से में पीछे की तरफ स्थिर करना है। कांख में लगाने के बाद हाथ को नीचे करदे या अगर जीभ में लगा तो रहे तो बच्चे को अपने होठों को बंद करने को बोलें । 
  • कुछ मिनटों में डिजिटल थर्मामीटर से एक बीप की आवाज आएगी तत्पश्चात थर्मामीटर को निकाल लें और उसपर आया हुआ तापमान लिख लें। 
  • थर्मामीटर को तापमान लेने के बाद बिना धुले कभी भी न रखें। हमेशा पानी से धूल कर रखें। 

    मर्करी (पारा) थर्मामीटर प्रयोग करने की विधि 
  • सर्वप्रथम आपको थर्मामीटर पानी (ठंडा या सामान्य ताप) या साबुन से धो लेना है। 
  • तापमान कम करने के लिए थर्मामीटर को हिलाएं। तापमान मापने के बाद ग्लास थर्मामीटर हमेशा खुद को रीसेट नहीं करते हैं। इसे सिरे से दूर अंत में पकड़ें और थर्मामीटर को आगे-पीछे घुमाएँ। यह सुनिश्चित करने के लिए जांचें कि यह कम से कम 96.8 डिग्री फ़ारेनहाइट (36.0 डिग्री सेल्सियस) से नीचे चला जाए। 
  • इसके बाद यदि आपका बच्चा बहुत ही छोटा है तो थर्मोमीटर को अपने बच्चे की कांख (अर्थात बगल) में और यदि थोड़ा बड़ा (3 साल से ज्यादा उम्र) है तो उसके जीभ के निचले हिस्से में पीछे की तरफ स्थिर करना है। कांख में लगाने के बाद हाथ को नीचे करदे या अगर जीभ में लगा तो रहे तो बच्चे को अपने होठों को बंद करने को बोलें । 
  • थर्मामीटर को 2-4 मिनट के लिए उसी स्थान पर छोड़ दें। 
  • तापमान पढ़ने के लिए थर्मामीटर को क्षैतिज रूप (आड़ा/हॉरिजॉन्टल ) से पकड़ें। इसे आंखों के स्तर तक लाएं और तरल का सिरा ठीक आपके सामने हो। लंबी रेखाएँ देखें, जो प्रत्येक 1 °F (या 1 °C) दर्शाती हैं और छोटी रेखाएँ, जो प्रत्येक 0.2 °F (या 0.1 °C) दर्शाती हैं। तरल के अंत तक निकटतम संख्या पढ़ें, यदि आवश्यक हो तो छोटी रेखाओं को गिनें। 

    बुखार के दौरान बच्चे को क्या खिलाएं?? 
    यदि आपका बच्चा केवल स्तन्य पान करता है तो बुखार आने पर भी उसको माँ का दुग्ध पिलाती रहे जबतक आप कोई गंभीर बीमारी से रोगग्रसित नहीं है।  
    आमतौर पर बुखार आने पर लघु और सुपाच्य भोजन देना चाहिए। बुखार के समय चीज, पनीर, बाहर का खाना, फास्ट फूड, अधिक तैलीय पदार्थ आदि न दें। बेहतर रहेगा बुखार आने पर आप अपने बच्चे को घर का बना लघु खाना दें। बच्चों को बुखार के समय आप हरी सब्जियों, टमाटर और हरी सब्जियों से निर्मित सूप, खिचड़ी, दाल का पानी, गुनगुना दुग्ध, उबला आलू इत्यादि दे सकते हैं। 

    बुखार कम करने के कुछ घरेलू उपचार 
    यदि आप अपने शिशु का बुखार घर पर कम करना चाहते है तो उसके लिए कुछ घरेलू उपचार कर सकते है। – 
  • नींबू और शहद को 1-1 बड़ा चम्मच ले और अच्छे से मिलाएं। फिर इसको बच्चे को खाने के लिए दे। 
  • अपने बच्चे की मालिश सरसों के तेल और लहसुन से करें। परंतु यदि आपके शिशु को दाने है, चक्काते है तो इसका प्रगोग न करें। इसके अतिरिक्त कुछ बच्चो को लहसुन से अलर्जी भी हो सकती है। इसीलिए इसका प्रयोग सावधानी से करें। 
  • यदि बुखार के कारण आपके बच्चे का शरीर, माथा अत्याधिक तप रहा है तो आप ठंडे सेक का माथे और गर्दन पर प्रयोग कर सकते हैं। 
  • ध्यान रहें उपर्युक्त केवल उपाय है इलाज नहीं। बिना जाने समझे कोई भी घरेलू नुस्खा अपने बच्चो पर न आजमाए क्योंकि कई बार घरेलु नुस्खे बीमारी को जटिल बना सकते हैं। 

    बुखार आने पर अपने बच्चे में निम्न बिंदिओ का ध्यान रखें – 
  • पानी की कमी न होने दे। 
  • ठंड से बचाएं 
  • धुएं से दूर रखे 
  • हल्के आरामदायक वस्त्र पहनाए 
  • बुखार आने पर घर पर अपने बच्चे का बुखार थर्मोमीटर से लें। बच्चे के बुखार को माप कर एक जगह लिखते जाएं। ऐसा करने से आपको पता चलता रहेगा की आपके बच्चे का बुखार कितना काम हुआ है और चिकत्सक को भी दवाई कितनी असर कर रही है, बुखार आने का क्या कारण है ये जाने में सहायता मिलती है।