गर्भावस्था में महिला के शरीर में बहुत से बदलाव आते हैं। शारीरिक बदलाव होने के साथ साथ मानसिक बदलाव भी आते हैं। इसी दौरान अधिकतर गर्भवतियों को गुस्सा और चिड़चिड़ापन भी महसूस होता है, जो की सामान्य है। परंतु काफी अधिक गुस्सा हानिकारक होता है, क्यूंकि हर चीज का असर भ्रुण पर पड़ता है।
प्रेगनेंसी में चिड़चिड़ापन क्यों आता है?
गर्भावस्था में अनेक हार्मोनल बदलाव होते हैं। कभी शरीर में हार्मोन्स का स्तर बढ़ता है तो कभी घट जाता है। इसके कारण गैस, एसिडिटी, पैरो में सूजन आदि चीजों से पीड़ित होती है। हार्मोन्स के उतार चढ़ाव के कारण गर्भातियो में मूड स्विंग्स होते है और वे अक्सर आसानी से चिड़चिड़ा जाती हैं या गुस्सा हो जाती हैं।
इसके अतरिक्त गर्भवती को मां बनने की कभी खुशी होती है तो कभी बच्चे की सेहत को लेकर या डिलेवरी को लेकर घबराहट भी होती है। इसके कारण भी कई बार गर्भावस्था में चिड़चिड़ापन रहता है ।
चिड़चिड़ापन कैसे कम करें?
- पोष्टिक, ऊर्जा से भरपूर खाना खाए। इससे आपको थकान कम महसूस होगी तथा चिड़चिड़ापन भी नही होगा।
- शरीर की हल्की मालिश करें। ऐसा करने से आपका मन रिलैक्स्ड रहेगा और आप आसानी से नहीं चिड़चिड़ाएगी।
- पैदल चले और हल्का फुल्का व्यायाम करें। प्राणायाम भी करे। ऐसे आप एक्टिव रहेंगे और मूड स्विंग्स नहीं होगे।
- अपनी नींद पूरी करें। अक्सर नींद न पूरी होने से भी चिड़चिड़ापन होता है।
किसी भी प्रकार का तनाव न लेने की कोशिश करें । लड़ाई झगड़े से दूर रहें।
यदि आपका चिड़चिड़ापन उपर्युक्त सुझाव से भी कम नहीं होता है, या फिर आपको छोटी छोटी बातों पर भी जल्दी से अत्याधिक गुस्सा आ जाता है, तो आपको एक बार मनोचिकत्सक से सलाह लेनी चाहिए।