गर्भावस्था के दौरान जच्चे और बच्चें दोनों के स्वास्थ्य का खास खयाल रखना पड़ता है। महिला को इस बात का हमेशा ध्यान रखना पड़ता है कि उसके द्वारा सेवन की हुई हर चीज गर्भास्थ शिशु को प्रभावित करती है। इस अवस्था में हमेशा पौष्टिक आहार लेना चाहिए। और मछली पौष्टिकता से भरबूर ऐसी ही एक चीज हैं। आइए जाने मछली खाना स्वास्थ के लिए कितनी लाभदायक है तथा गर्भावस्था में इसका सेवन करने के क्या क्या फायदे हैं।

मछली के पोषक तत्व
मछली प्रोटीन से भरपूर होने के साथ साथ विटामिन्स जैसे डी, ए और बी 2, कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन, जिंक, आयोडीन, मैग्नीशियम, पोटेशियम तथा ओमेगा 3 फैटी एसिड्स में भी धनी होती है।

कितनी मचली का सेवन करना चाहिए?
विसेशज्ञो के अनुसार एक खुराक में लगभग 113 ग्राम मछली का आप सेवन कर सकते हैं। वहीं हफ्ते में आप 2 से 3 बार मछली का सेवन कर सकते हैं।

प्रेगनेंसी में मछली खाने के फायदे

  • मछली का सेवन उच्च रक्त चाप को नियंत्रित करने में सहायक होता है। इसमें ओमेगा 3 फैटी एसिड्स पाया जाता है जिस कारण ह्रदय के लिए लाभदायक है।
  • कई बार कुछ महिलाएं गर्भावस्था के दौरान तनाव ग्रस्त मेहसूस करती हैं। ऐसी परिस्थितियों में भी मचली खाना स्वास्थ के लिए अच्छा होता है। इसका कारण भी मछली में पाया जाने वाला ओमेगा 3 फैटी एसिड है।
  • कई शोधकर्ताओं के अनुसार मचली का सेवन आपके गर्भ में पल रहे शिशु के विकास में भी सहायक होता है। इसके अतिरिक्त यह भ्रूण के दिमागी विकास के लिए भी बहुत उपयोगी है।
  • इसके अतिरिक्त मछली का सेवन करने से गर्भपात तथा शिशु का समय से पहले जन्म जैसे जोखिम भी कम होते हैं।

कौन सी मछलियां गर्भावस्था के दौरान नहीं खानी चाहिए?
मछलियां विभिन्न प्रकार की होती हैं किंतु हर मछली को नहीं खाना चाहिए। वहीं कुछ ओर ऐसी भी मछलियां होती है जिमने पारा ( मर्करी) अधिक मात्रा में पाया जाता है, ऐसी मछलियों का सेवन गर्भावस्था के दौरान कदापि नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से पारे की विषाकता ( मर्करी पॉइजनिंग) हो सकती है जो केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र पर हानिकारक प्रभाव डालती है। इसके परणिनाम स्वरूप शिशु में बहिरापन मस्तिष्क पूर्णतया खराब हो सकता है।

गर्भावस्था में निम्न मछलियों का सेवन नहीं करना चहिए

  • मर्लिन
  • शार्क
  • स्वार्ड फिश

मछली का सेवन करते समय यह अवश्य ध्यान रखें की मछली अच्छी तरह से पकी हो। अधपकी मचली का सेवन करने से लिस्टेरियोसिस तथा कच्ची मछली का सेवन करने से सालमोनेला पॉइजनिंग ( विषाकता) हो सकता है।

यदि आपको पहले मछली से एलर्जी रही है तो गर्भावस्था के दौरान आपको मछली नहीं खानी चाहिए।